अलवर (कमलकांत शर्मा) अलवर के युवा संगीतकार योगेश जांगिड़ ने संगीत शास्त्र केन्द्र के तहत प्रतिमाह आयोजित की जाने वाली संगीतमय कार्यशाला का दूसरा भाग रविवार को आयोजित किया। जिसमें मंच संचालन करते हुए संगीत उपासक अर्पित शर्मा ने अपनी भारतीय संस्कृति को बरकरार रखते हुए कार्यशाला का शुभारम्भ स्वरचित मंङ्गलाचरण एवं वर्णित छंद से किया । जो कार्यशाला के उन्वान की और ही इंगित कर रहा था । इसी बीच इस संगीत कार्यशाला में देश के तमाम राज्यों के विश्विद्यालयो से संगीत विषय के प्रबुद्धजन व्याख्याता एकत्रित हुऐ।
शास्त्रोक्त(गणितीय) पद्धति द्वारा अलवर के संगीत साधक योगेश जांगिङ ने प्रस्तुत करते हुए लय और ताल के विभिन्न रूपों का सभी उपासकों के मध्य एक चित्र प्रस्तुत कर दिया और स्वर,ताल के दृष्टि गत होने को सनद सहित प्रस्तुत किया । लय,ताल को सुर्य ,चंद्रमा ,पृथ्वी , प्रकृति, जीव, नक्षत्र इत्यादि से जोड़कर सरल शब्दों में बताया कि नियमित गति ही लय है। उन्होंने बताया कि सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड लय मे समाया हुआ है। अर्थात सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड लयमयी है। इसी बीच योगेश जांगिङ के अध्यापन की सराहना करते हुए सभी संगीतज्ञ प्रबुद्धजनों ने इस संगीत कार्यशाला को बनायें रखने का निवेदन भी किया। अतः इससे दृष्टिगत होता है किया योगेश जांगिड अपने उद्देश्य (संगीत के शास्त्र पक्ष का विकास) के प्रति अग्रसर है। अंत में कार्यशाला का समापन करते हुए संगीत उपासक अर्पित शर्मा ने योगेश जांगिङ संगीत शास्त्र केन्द्र के निदेशक योगेश जांगिङ को शब्द रूपी परितोषित( ताल दर्शन) नज़राना कर अशेष उपस्थित संगीत साधक,उपासक,व प्रबुद्धजनों का आभार प्रकट किया।
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