संगीत (कमलकांत शर्मा व) सुप्रसिद्ध शास्त्रीय गायिका बेगम परवीन सुल्ताना जी का जन्म 10 जुलाई 1950 को नोगोंग ग्राम (असम) में हुआ था । ‘पटियाला घराने’ से सम्बन्धित शास्त्रीय गायिका परवीन सुल्ताना को वर्ष 1976 में ‘पद्मश्री’ से सम्मानित किया गया था। असमिया पृष्ठभूमि से ताल्लुक रखने वाली परवीन सुल्ताना ने पटियाला घराने की गायकी में अपना अलग मुकाम बनाया है।उनके गुरुओं में ‘आचार्य चिनमोय लाहिरी’ और ‘उस्ताद दिलशाद ख़ान’ प्रमुख रहे हैं। गीत को अपनी अन्तरात्मा मानने वाली परवीन सुल्ताना की जन्म-भूमि असम और कर्म-भूमि मुम्बई रही है। इनके पिता का नाम ‘इकरामुल माजिद’ तथा माता का नाम ‘मारूफ़ा माजिद’ था। परवीन सुल्ताना ने सबसे पहले संगीत अपने दादा जी ‘मोहम्मद नजीफ़ ख़ां साहब’ तथा पिता इकरामुल से सीखना शुरू किया। पिता और दादाजी की छत्रछाया ने उनकी प्रतिभा को विकसित कर उन्हें 12 वर्ष कि अल्पायु में ही अपनी प्रथम प्रस्तुति देने के लिये परिपक्व बना दिया था। इसके बाद परवीन सुल्ताना कोलकाता में ‘स्वर्गीय पंडित चिनमोय लाहिरी’ के पास संगीत सीखने चली गई थी। 1973 से वे ‘पटियाला घराने’ के ‘उस्ताद दिलशाद ख़ां साहब’ की शागिर्द बन गयीं। दो वर्ष बाद ही परवीन सुल्ताना ने दिलशाद ख़ां से विवाह किया और परिणय सूत्र में बंध गयीं थी । इनकी एक पुत्री भी है। परवीन सुल्ताना उन चुनिन्दा शास्त्रीय गायिकाओं में से एक हैं, जिन्हें ईश्वर ने एक ऐसी अनोखी और ख़ूबसूरत आवाज़ से नवाजा, जिसका कोई सानी नहीं था। उनकी लगन और तालीम ने उन्हें ख़ूबसूरत आवाज़ और एक गरिमामय का धनी बनाया था, इसीलिए उन्हें भारतीय शास्त्रीय संगीत की रानी कहा जाता है।
सच्ची बात, सच के साथ…
अन्य खबरे
स्वरांचल संगीत आश्रम में बडी धूमधाम से मनाया गया वसंतोत्सव।
एक दिवसीय जिला स्तरीय पेचक सिलात प्रतियोगिता का आयोजन
कलाकारों का हाला बोल कला शिक्षा(चित्रकला,संगीत ) विषय के पद सृजित कर भर्ती की मांगों को लेकर अहिंसात्मक शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन…….