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बीजेपी प्रदेश प्रभारी को आर‌एल‌पी सुप्रीमो बेनीवाल की चुनौती ट्वीट कर कहा- राज्यसभा सांसद व प्रदेश प्रभारी बनना बड़े नेताओं की मेहरबानी, जनाधार देखना है तो आर‌एलपी के सहारे जीते सांसदों से इस्तीफा दिलवाकर फिर लड़वाओ चुनाव। - Khabrana.com बीजेपी प्रदेश प्रभारी को आर‌एल‌पी सुप्रीमो बेनीवाल की चुनौती ट्वीट कर कहा- राज्यसभा सांसद व प्रदेश प्रभारी बनना बड़े नेताओं की मेहरबानी, जनाधार देखना है तो आर‌एलपी के सहारे जीते सांसदों से इस्तीफा दिलवाकर फिर लड़वाओ चुनाव।
December 24, 2024

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बीजेपी प्रदेश प्रभारी को आर‌एल‌पी सुप्रीमो बेनीवाल की चुनौती ट्वीट कर कहा- राज्यसभा सांसद व प्रदेश प्रभारी बनना बड़े नेताओं की मेहरबानी, जनाधार देखना है तो आर‌एलपी के सहारे जीते सांसदों से इस्तीफा दिलवाकर फिर लड़वाओ चुनाव।

जयपुर । प्रदेश दौरे पर आये भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रभारी अरुण सिंह द्वारा दो दिन पहले दैनिक भास्कर के साथ इंटरव्यू में एक सवाल के जवाब में आर‌एल‌पी और नागौर सांसद व पार्टी सुप्रीमो हनुमान बेनीवाल के बारे में दिए गए उनके बयान पर गुरुवार शाम हनुमान बेनीवाल ने एक के बाद एक 6 ट्वीट और 2 वीडियो पोस्ट कर उन पर तगड़ा हमला बोला है।आर‌एल‌पी सुप्रीमो व नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल ने अपने पहले ट्वीट में बीजेपी प्रदेश प्रभारी अरुण सिंह को टैग करते हुए कहा कि अरुण सिंह को यह नहीं भूलना चाहिए कि लोकसभा चुनाव से पूर्व जब आर‌एल‌पी व बीजेपी का गठबंधन हुआ तब न केवल राजस्थान बल्कि अन्य राज्यों में भी बीजेपी को फायदा हुआ था और राज्यसभा चुनावों में भी आर‌एल‌पी के 3 विधायकों ने बिना शर्त भाजपा उम्मीदवारों का समर्थन किया था। अपने दूसरे ट्वीट में फिर बीजेपी प्रदेश प्रभारी अरुण सिंह को टैग करते हुए बेनीवाल ने कहा, प्रदेश में गहलोत-वसुंधरा गठबंधन जग जाहिर है और इस बात को आप भी जानते हो। जहां तक विश्वसनीयता का सवाल है तो जनता ने विश्वास के कारण ही उन्हें 3 बार विधायक व एक बार सांसद बनाया है और आप केवल राजनाथ सिंह जी की मेहरबानी से राज्यसभा में आये और राजस्थान के प्रभारी बनाये गए हैं। इसके बाद बेनीवाल ने तीसरे और चौथे ट्वीट में कहा कि अरुण सिंह का स्वयं का कोई जनाधार नहीं है। न उन्हें राजस्थान के संदर्भ में कोई ज्ञान है। उन्हें यह स्मरण होना चाहिए कि जब गहलोत सरकार संकट में थी और राजस्थान की विधानसभा में जब फ्लोर टेस्ट हो रहा था तब आर‌एल‌पी के विधायक बीजेपी के साथ बिना शर्त खड़े थे और इसके उलट गहलोत सरकार जब संकट में आई तब वसुंधरा राजे ने फ्लोर टेस्ट के समय भाजपा के ही 8 विधायकों को सदन में ही अनुपस्थित करवा दिया ताकि गहलोत सरकार को बचाया जा सके जबकि आर‌एल‌पी के विधायक सदन में सत्ता पक्ष के विरुद्ध खड़े थे और भाजपा के संकट के साथी बने थे। इसके बाद सांसद बेनीवाल ने पांचवे और छठे ट्वीट में कहा कि राज्यसभा सांसद बनना व किसी राज्य का प्रभारी बनना मेहरबानी का हिस्सा है, आपका स्वयं का कोई जनाधार नहीं है क्योंकि होता तो आप सरपंच भी निर्वाचित हो जाते मगर आज तक जनता के वोटों से शायद सरपंच भी निर्वाचित नहीं हुए हो। अरुण सिंह जी आर‌एलपी का जनाधार देखना है तो एक चुनौती स्वीकार करो राजस्थान में कुछ भाजपा सांसदों से त्याग पत्र दिलवाओ और उसके बाद मैं भी सांसद के पद से त्याग पत्र देकर पुनः आर‌एल‌पी से लोकसभा का चुनाव लड़ता हूं। उसके बाद आप उन भाजपा सांसदों को भी वापस चुनाव लड़वाओ तो पता चल जाएगा किसका कितना जनाधार है।