शाहजहांपुर । कस्बे का सबसे प्राचीन तलाब रायसर विगत पन्द्रह वर्षों से सूखे की मार झेल रहा है। रायसर तलाब परिसर सहित पहाडों से तलाब तक जल भराव के मार्ग पर अरसे से अतिक्रमण के चलते इस तलाब मे 2006 मे अंतिम बार पानी आया था लेकिन उसके बाद इस तलाब मे पानी नहीं आ पाया है। ये तलाब कागजों मे पांच खसरा संख्या मे मिलाकर कुल 7.63 हेक्टेयर रकबे का है लेकिन लगातार अतिक्रमण के चलते अब ये रकबा मात्र तलाब तक ही सिमट कर रह गया है। अतिक्रमण का आलम ये है की कस्बेवासियों ने तलाब की पक्की पाल तक भी ईधन एवं कूडी डाल कब्जा किया हुआ है।
54.76 बीघा का हुआ करता था सम्पूर्ण रकबा….
रायसर तलाब कागजो मे खसरा संख्या 2128 ( 0.3300 हेक्टेयर) 1966 ( 0.3800 हेक्टेयर) 2129 ( 0.3800 हेक्टेयर) 1815 ( 0.7500 हेक्टेयर) एवं 1934 ( 5.7900 हेक्टेयर) कुल रकबा 7.63 हेक्टेयर दर्ज है वही कब्रिस्तान 1963/2551( 1.1500 हेक्टेयर) एवं 2096/2833 ( 0.0700 हेक्टेयर कुल रकबा 1.22 हेक्टेयर दर्ज है। इतना ही नहीं गैर मुमकिन नदी खसरा संख्या 441 ( 2.3588 हेक्टेयर) 1281 ( 1.0500 हेक्टेयर) एवं 147 ( 1.2380 हेक्टेयर ) दर्ज है। साथ ही रायसर तलाब परिसर मे ही खसरा संख्या 1934/2520 ( 0.1000 हेक्टेयर) एवं 1963/2550 ( 0.1000 हेक्टेयर) दर्ज है। इन सभी का रकबा 10.69 हेक्टेयर है ( 54.76 बीघा) है। लेकिन जब मौके पर देखते है तो तलाब, नदी पेटे की अधिकांश भूमि पर लोगों ने पक्के मकान, गवाडे एवं पशु रखने के स्थान बना लिये है।
प्रशासनिक चुप्पी ने बिगाडा खेल…
प्रशासन की चुप्पी ने बिगाड खेल…
राजस्थान हाईकोर्ट की खण्डपीठ के अब्दुल रहमान बनाम सरकार के संदर्भ मे 2 अगस्त 2004 को दिये गये आदेश की पालना को लेकर प्रशासन मौन रहा। आलम ये रहे की तलाब तक आने वाली गैर मुमकिन नदी एवं नाले मे घुमंतू बंजारों ने पक्के मकान बना लिये वही तलाब के अधिकांश पेटे मे सौ से अधिक पक्के मकान बना लिये गये। आलम ये है की वर्षा जल बाधित होने के चलते तलाब तक पहुंचता ही नहीं है उसपर एनएचएआई द्वारा सिक्स लेन निर्माण के दौरान पहाड से तलाब तक आने वाली नदी पर गलत पुलिया निर्माण कर दिया गया एवं आवासन मण्डल ने नदी पेटे के बीच मे ही सडक बनाकर तलाब तक आने वाले वर्षा जल को बाधित कर दिया है।
जल संरक्षण का प्रमुख साधन था तलाब..
बीस वर्ष पहले तक ये तलाब जलमग्न रहा करता था। अपनी भराव क्षमता के चलते ये तलाब बांध का काम करता था। तलाब मे आये वर्षा जल के कारण कस्बे का जलस्तर काफी ऊपर था लेकिन लगातार दोहन एवं वर्षों से सुखे की मार झेल रहा ये तलाब अब पुनः अपने अतीत को पाने की बांट जोह रहा है।
क्या कहते है अधिकारी….
मुझे शाहजहांपुर के एतिहासिक तलाब एवं उसके पेटे मे किये गये अतिक्रमण की जानकारी मिली है। मैने कागजात मंगवा लिये है। तहसीलदार, हलका पटवारी को साथ ले मै स्वयं तलाब परिसर का अवलोकन करुंगा। अतिक्रमण प्रमुखता से हटाये जायेगे। जलस्त्रोत को बचाने के लिये सरकार प्रयासरत है।
योगेश देवल
एसडीएम नीमराना
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