बहरोड़ (केडीसी) जिले भर में डीएपी की किल्लत कोरोना वैक्सीन जैसी नजर आने लगी है। डीएपी खाद लेने के लिए क्रिय-विक्रय सहकारी समिति पर सुबह 6 बजे ही किसान पहुंच जाते हैं। जबकि 10 बजे समिति के कर्मचारी आते हैं। उनके आने के बाद पता लगता है कि आज भी डीएपी की गाड़ी नहीं आएगी और किसानों को खाद नहीं मिल सकेगा। फिर सब निराश लौट जाते हैं। यही सिलसिला कई दिनों से जारी है।क्रय विक्रय सहाकारी समिति प्रबंधक संगीता यादव ने बताया कि अभी डीएपी खाद आने संभावना नहीं है। क्षेत्र में करीब 14 हजार कट्टे अर्थात 700 मैट्रीक टन खाद की आवश्यकता है। लेकिन अभी तक मात्र 70 मैट्रिक टन खाद ही किसानों को उपलब्ध हो पाया है। किसानों को खाद के लिए इधर-उधर भटकने पर मजबूर होना पड़ रहा है।रबी की फसल बिजाई में एक एकड़ भूमि में एक कट्टा डीएपी खाद डाला जाता है। जिससे सरसों की फसल निरोगी होने के साथ-साथ भूमी को उपजाऊं बनाता है। उपखंड़ में सैकड़ों हेक्टेयर भूमि में सरसों व करीब गेहूं की बिजाई होती है। उसी के हिसाब से ही डीएपी खाद के कट्टे की आवश्यकता होती है। किसानों को उनकी कास्त के अनुसार खाद का बैग दिया जाता है। लेकिन 14 हजार कट्टों के वितरण की जगह मात्र 13 सौ कट्टों का वितरण हुआ है। जो ऊंट के मुंह में जीरा साबित हो रहा है। अलसुबह से दोपहर तक किसान भूखें एवं प्यासे खाद के लिए लान लगाकर मिलते हैं। लेकिन अधिकारियों के आने के बाद निराश होकर लौटना पड़ता है। अब कृषि विभाग के अधिकारी किसानों को सिंगल सुपर फास्फेट काम लेने का सुझाव देने लगे हैं।
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