कोटपूतली (बिल्लुराम सैनी ) भाजपा प्रदेशाध्यक्ष डाॅ.सतीश पूनियां के निर्देशानुसार जयपुर जिला देहात उत्तर के जिलाध्यक्ष जितेन्द्र शर्मा के नेतृत्व में भाजपा पदाधिकारियों एवं कार्यकर्ताओं द्वारा तात्कालिक मीसा बन्दी मधुसूदन मंगल पावटा एवं जनसंघी मैथिलीशरण बंसल का माल्यार्पण एवं साफा पहनाकर सम्मान किया गया। इस अवसर पर विराटनगर पूर्व विधायक डाॅ. फूलचंद भिण्डा, कोटपूतली विधानसभा प्रत्याशी रहे मुकेश गोयल, जिला महामंत्री सुरेंद्र चौधरी, जिलामंत्री सुभाष चन्द शर्मा, मन की बात कार्यक्रम जिला प्रभारी योगी अशोक सुरेलिया, किसान मोर्चा जिलाध्यक्ष कैलाश ताखर, जिला उपाध्यक्ष कर्मवीर बोकन, नगर अध्यक्ष गोपाल मोरीजावाला, नगर महामंत्री जितेन्द्र सिंह, प्रवीण बंसल, मुखिया पायला, सीताराम बंसल, शशि मित्तल, दयाराम कुमावत, कपिल शर्मा, पावटा मण्डल अध्यक्ष प्रकाष राठी, महामंत्री हितेन्द्र लाटा, श्रीकांत शर्मा आदि पदाधिकारी एवं कार्यकर्ता उपस्थित रहे। इस अवसर पर विधानसभा प्रत्याशी मुकेश गोयल ने मीसा बंदियों के सम्मान में उपस्थित कार्यकर्ताओं को सम्बोधित करते हुए 25 जून, 1975 की अर्धरात्रि में देश की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंद्रा गांधी ने भारत के तात्कालिक राष्ट्रपति से आपातकाल लगाने के आदेशों पर दस्तखत करवा कर बाहर निकलते ही देश में हाहाकार व चित्कार शुरू हो गयी थी। जिसमें लाखों युवाओं को जबरन जेलों में डाला गया। उनपर अमानवीय अत्याचार किये गये। इसलिए आज के दिन को पूरे देष में भाजपा कार्यकर्ता इसे काला दिवस के रूप में मना रहे है। पूर्व विधायक फूलचंद भिण्डा ने मीसा बन्दियों का आभार प्रकट करते हुए इस आपातकाल को एक ऐसा राजनैतिक षडयंत्र बताया जिसने राज सत्ता में बने रहने के लिए लाखों लोगों को जेल की काली कोठडी में बंद कर दिया, जिसने अखबारों के मुंह पर ताला लगा दिया। रेडियो को महिमा गान, गुणगान का हथियार बना कर तानाशाही लागू कर दी गई। इसके बाद प्रदेशाध्यक्ष डाॅ. सतीश पूनिया की अध्यक्षता में मीसा बन्दियों के सम्मान में एक वर्चुअल मीटिंग का आयोजन किया गया। जिसमें जिला जयपुर देहात उत्तर के समस्त पदाधिकारी एवं मण्डल अध्यक्ष, मण्डल प्रभारी, मंडल संयोजक, मोर्चाओं के अध्यक्ष एवं समस्त वरिष्ठ कार्यकर्ता शामिल हुए। वर्चुअल मीटिंग में संबोधित करते हुए डाॅ. सतीश पूनिया ने मीसा बन्दियों का आभार व सम्मान प्रकट करते हुए कहा कि इमरजेंसी अर्थात आपातकाल एक ऐसी घटना थी जिसने भारत जैसे महान लोकतांत्रिक देश का गला घोंट दिया था। एक ऐसी काली रात जिसने हजारों, लाखों स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा दिए गए बलिदानों को सत्ता लोलुपता की आग में झोंक दिया था। रात्रि 12 बजे व प्रातः 5 बजे के मध्य जब सारा देश सो रहा था तो लोक तंत्र तानाशाही में बदल चुका था। देश के करोड़ों लोगों की आजादी समाप्त हो चुकी थी। बोलने की आजादी, लिखने की आजादी, मौलिक अधिकारों की आजादी, सब इमरजेंसी की भेंट चढ़ चुके थे। अर्धरात्रि में एक लाख के लगभग नेताओं को पूरे देश में अरेस्ट कर लिया गया। देश के सारे थाने भर गए, जेलें भर गई, कोई पूछ नहीं सकता था कि क्यों अरेस्ट किया जा रहा है। जय प्रकाश नारायण, अटल बिहारी वाजपेयी, लाल कृष्ण आडवाणी, संघ प्रमुख परम पूजनीय बालासाहब देवरस, नाना जी देश मुख, मोरारजी भाई देसाई, अकाली दल नेता, कम्युनिस्ट पार्टी नेता, इंदिरा गांधी के विरोधी कांग्रेस नेता, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ, जन संघ के कार्यकर्ताओं पर मीसा (मेंटेनेंस ऑफ इंटरनल सिक्योरिटी एक्ट) लगा कर जेलों में डाल दिया गया। 25 जून 1975 की वह काली रात मेरे देश में दोबारा कभी न आए।कार्यक्रम के अन्त में जिलाध्यक्ष जितेन्द्र शर्मा ने मीसा बन्दियों का सम्मान प्रकट करते हुए वर्चुअल मीटिंग में जुड़ने वाले सभी कार्यकर्ताओं का आभार प्रकट किया।
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