अलवर (कमलकांत शर्मा) प्रख्यात ध्रुपद गायक पद्मश्री असगरी बाई की आज 15 वीं पुण्यतिथि है। 9 अगस्त 2006 को इस दुनियां को अलविदा कहने वाली प्रख्यात गायिका असगरी बाई भारतीय ध्रुपद गायिका थीं। उन्हें पद्मश्री, तानसेन सम्मान, अकादमी सम्मान , शिखर सम्मान, नारी शक्ति सम्मान से सम्मानित किया गया था। अनेकों पुरस्कारों से सम्मानित पद्मश्री असगरी बाई संगीत प्रेमियों को न केवल मध्य प्रदेश में बल्कि दशकों तक अपनी अनूठी शैली और प्रतिभा के साथ देश, विदेश मे भी प्रभावित करती रही।
प्रारंभिक जीवन और पृष्ठभूमि….
असगरी बाई का जन्म बिजावर, छतरपुर में हुआ था। वह अपनी मां नजीरा बेगम के साथ टीकमगढ़ आई थी। उनकी मां बिजावर के पूर्व राजपरिवार के लिए एक दरबारी गायिका थीं, जबकि उनकी दादी बालायत बीबी ने अजयगढ़ रियासत का दरबार सजाया था।
कैसा रहा गायन कैरियर….
असगरी बाई ने गोहद, भिंड के रहने वाले ज़हूर खान को अपना गुरु बनाया। वह 35 साल तक टीकमगढ़ राज दरबार में रही थीं। असगरी बाई ने ओरछा राजवंश के लिए मुख्य गायक के रूप में शासन करने के लिए ध्रुपद में असाधारण विशेषज्ञता हासिल की। अन्य शाही परिवारों द्वारा उसे संगीत प्रेमियों के साथ मंत्रमुग्ध करने के लिए आमंत्रित किया जाता था।
व्यक्तिगत जीवन :
असगरी बाई का विवाह 35 वर्ष की आयु में आगरा के चिमन लाल गुप्ता के साथ हुआ था। उसके 5 बेटे और 3 बेटियां हैं। बुधवार 9 अगस्त 2006 को उनका निधन हो गया था।
सम्मान एंव पुरस्कार…
उन्हें 24 मार्च 1990 को पद्मश्री से सम्मानित किया गया।फरवरी 1987 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। मध्य प्रदेश सरकार ने दिसंबर 1985 में तानसेन सम्मान और फरवरी 1986 में सिख सम्मान से सम्मानित किया। ख़बराना डिजिटल न्यूज चैनल महान गायिका पद्मश्री असगरी बाई को अपनी भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित करता है।
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