भीलवाड़ा (पंकज आडवाणी) बाल ब्रह्मचारी अनन्त विभूषित त्रयम्बकेश्वर चैतन्य महाराज ने कहा कि भगवान मनुष्य को अनुशिक्षित करने के लिए अवतार लेते हैं। मनुष्य को भगवान से संबंध बनाना चाहिए। संबंध को मानना भी चाहिए। एक सत्ता के तीन रूप है ब्रह्मा, विष्णु एवं महेश। यह क्रिया भेद से तीन है लेकिन मूल में एक ही है। भारतवर्ष में संस्कार कम हो सकते हैं लेकिन समाप्त नहीं हो सकते हैं। संत श्री मंगलवार को हरिशेवा धाम उदासीन आश्रम सनातन मंदिर में प्रवचन दे रहे थे। संत श्री ने इस दौरान शिव पार्वती विवाह का विस्तार से वर्णन करते हुए कन्यादान का महत्व बताया उन्होंने कहा कि वर विष्णु एवं वधू रूप होता है। वर्तमान में होने वाले नाच गान का विरोध करते हुए उन्होंने कहा कि ब्यूटी पार्लर से शुद्धता नहीं रहती है। मंडप में वर-वधू को शुद्ध रहना चाहिए। कार्यक्रम प्रवक्ता रजनीकांत आचार्य ने बताया कि कार्यक्रम के प्रारंभ में हरिओम महाराज ने कहा कि हमें शांति के लिए भगवान के चरणों का अनुगमन करना ही होगा। संयोजक परिवार के राधेश्याम अग्रवाल ने बताया की हरिशेवा धाम उदासीन आश्रम सनातन मन्दिर में महामंडलेश्वर हंसराम उदासीन महाराज के सानिध्य में प्रवचन प्रतिदिन अपराह्न 3 से शाम 5 बजे तक चल रहे है। प्रवचन का फेसबुक पर सीधा व यूट्यूब पर शाम को प्रसारण किया जा रहा है। संयोजक परिवार के कृष्णगोपाल, छीतरमल व प्रह्लाद अग्रवाल ने बताया की संत श्री के साथ दंडी स्वामी प्रबोधाश्रम महाराज, नृसिंह भारती महाराज, आचार्य हरि ओम महाराज, स्वामी नारायण महाराज, ब्रह्मचारी देवेश महाराज भी ज्ञान गंगा बहा रहे हैं। महाराज श्री का स्वागत रूपलाल हिंगड़, रामलाल साहू, ताराशंकर जोशी आदि ने किया।
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