बहरोड । राज्य सरकार द्वारा पशु पालकों को बेहतर चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए ग्राम पंचायत स्तर पर पशु अस्पताल के साथ ही पशु चिकित्सा उप केंद्र खोल रखे हैं ताकि ग्रामीण क्षेत्रों के पशु पालकों को पशुओं के बीमार होने पर स्थानीय स्तर पर ही बेहतर ईलाज मिल सकें लेकिन बहरोड में ग्रामीण क्षेत्रों में बने पशु अस्पतालों में चिकित्सक अस्पताल में नहीं रहकर गाँवो में अपनी दुकान अधिक चला रहे हैं।
पशु चिकित्सक अस्पताल में हाजिरी लगाकर चले जाते हैं वही कोई अधिकारी आये तो उसके लिए सूचना पट्ट पर गांव में ही पशु देखने जाने का ब्यौरा व समय लिख देते हैं ताकि अधिकारी समझे कि चिकित्सक पशुओं का ईलाज करने के लिए गए हैं।बुधवार को क्षेत्र के हमिंदपुर में स्थित पशु उप चिकित्सा केन्द्र पर दोपहर करीब एक बजे ताला लटका हुआ था वहीं चिकित्सक द्वारा गांव में ही दोपहर दो बजकर पचास मिनट पर पशु देखने जाने की सूचना लिखी हुई थी।ऐसे में जब आसपास के लोगो से जानकारी की तो उन्होंने बताया कि चिकित्सक तो बहुत पहले ही यहाँ से चला गया।ऐसे में पशु पालकों को पशु के बीमार होने पर जब अस्पताल लेकर जाते हैं तो चिकित्सक उन्हें नहीं मिलता है।जब वह फोन पर बात करते हैं तो चिकित्सक द्वारा कहा जाता हैं कि मेडिकल स्टोर पर जाकर उसकी बात करवा दो वहाँ पर वह दवाइयां बता देगा जोकि बीमार पशु के ईलाज में काम आएगी।ऐसे में पशु पालकों को दोहरी मार झेलनी पड़ रही हैं।क्योंकि राज्य सरकार ने मुख्यमंत्री निशुल्क दवा योजना के तहत पशु पालकों को निशुल्क दवा उपलब्ध कराई जा रही हैं वही चिकित्सको के नहीं मिलने पर पशु पालकों को निजी चिकित्सको को बुला कर पशुओ का ईलाज करवाना पड़ रहा है।ऐसे में पशु पालकों को दोहरी मार झेलनी पड़ रही हैं।
हमिंदपुर स्थित पशु उप चिकित्सा केंद्र के चिकित्सक प्रदीप सिंह द्वारा बुधवार को सूचना पट्ट पर दोपहर दो बजकर पचास मिनट पर गांव में ही एक पशु पालक के घर पर जाकर पशु देखने की सूचना लिख रखी थी लेकिन अस्पताल पर दोपहर करीब एक बजे ही ताला लटका हुआ था।
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