जयपुर (कमलकांत शर्मा) जयपुर शहर परचम विश्वभर मे फहराने एवं मोहन वीणा के अविष्कारक पण्डित विश्वमोहन भट्ट का आज 71 वां जन्मदिन है। पंडित विश्व मोहन भट्ट को वी.एम. भट्ट के नाम से भी जाना जाता है । भट्ट का जन्म 27 जुलाई 1950 को हुआ था। भट्ट हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत वाद्ययंत्र वादक हैं, जो मोहन वीणा (स्लाइड गिटार) बजाते हैं। मोहन वीणा के निर्माता और ग्रैमी पुरस्कार के विजेता विश्व मोहन ने अपने प्राचीन शुद्ध संगीत से दुनिया को मंत्रमुग्ध कर दिया है। यह विश्व के पहले वादक है जिन्होंने गिटार को अपनी निर्माण प्रतिभा के कारण मोहन वीणा का आकार दिया। इसे भारतीय शास्त्रीय संगीत परिदृश्य की मुख्यधारा में शीर्ष स्तर पर स्थापित भी किया है। पण्डित विश्वमोहन भट्ट ने पश्चिमी हवाईयन गिटार के अपने सफल संयोजन द्वारा सितार, सरोद और वीणा की तकनीकों को अपने संपूर्ण आत्मसात के द्वारा निर्मित मोहन वीणा से अंतर्राष्ट्रीय कलाकारों का ध्यान आकर्षित किया है। इसे एक विकासवादी डिजाइन और आकार देकर इसमे 14 तार और जोड़कर मोहन वीणा को अविश्वसनीय ऊंचाइयों दी। भट्ट निस्संदेह दुनिया में सबसे अधिक अभिव्यंजक, बहुमुखी और महान स्लाइड प्लेयर में से एक है। उनका एकल प्रदर्शन दर्शकों को लुभाता है। चाहे वह संयुक्त राज्य अमेरिका हो या यूरोप, खाड़ी देश हो या उनकी मातृभूमि भारत हो, विश्व मोहन पूरे विश्व में भारतीय संस्कृति और संगीत को महिमामंडित करने और लोकप्रिय बनाने मे भारत के सांस्कृतिक राजदूत बन गए हैं। भट्ट की उत्कृष्ट विशेषताएं ‘तंत्रकारी अंग’ की भूमिका निभाने की उनकी स्वाभाविक क्षमता है। मोहन वीणा पर ‘गायकी आंग’ को शामिल करना, जो सितार, सरोद और वीणा जैसे पारंपरिक भारतीय वाद्ययंत्र पर इस उपकरण का सबसे बड़ा लाभ है। यह कोई आश्चर्य की बात नहीं थी कि विश्व मोहन ने अपने गुण और धुनों की असीम आपूर्ति के साथ दुनिया का सर्वोच्च संगीत पुरस्कार जीता। 1993 में उनके वर्ल्ड म्यूजिक एल्बम के लिए रे कोडेर के साथ ग्रैमी अवार्ड जीता। उन्हें ये पुरुस्कार ‘ ए मीट बाय द रीवर ‘ के लिये मिला। इस पुरुस्कार ने उनकी हस्ती को बढ़ाया। न केवल एक कलाकार के रूप में बल्किएक भावपूर्ण संगीतकार के रूप में भी।
विश्व मोहन ने यूएसए, यूएसएसआर, कनाडा, द ग्रेट ब्रिटेन, जर्मनी, स्पेन, फ्रांस, इटली, नीदरलैंड, स्कॉटलैंड, स्विट्जरलैंड, डेनमार्क,दुबई, अल-शारजाह, बहरीन, मस्कट, की खाड़ी, आबु धाबी सहित सम्पूर्ण भारत में बड़े पैमाने पर प्रदर्शन किया है।1993 मे ग्रैमी अवार्ड, 1998 मे
संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार, 2002 मे देश के प्रतिष्ठित पुरस्कार पद्म श्री उनकी हस्ती को ओर प्रखर कर देते है।
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