कोटपूतली (बिल्लू राम सैनी) देश की आजादी की 75 वीं वर्षगांठ क्षेत्रवासियों के लिए अपार हर्ष व गौरव का समाचार लेकर आई है। निकटवर्ती ग्राम कंवरपुरा के एक सामान्य किसान परिवार से आने वाले सीआरपीएफ में सहायक कमान्डेंट महेन्द्र कुमार यादव पुत्र मोठुराम यादव की उपलब्धि से जहां कोटपूतली का नाम पूरे देश में रोशन हुआ है वहीं उनकी सफलता से क्षेत्रवासियों का मस्तक गर्व से ऊंचा हो गया है। स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर भारत सरकार द्वारा उन्हें उनकी वीरता के लिए राष्ट्रपति पुलिस वीरता मैडल पुरूस्कार दिये जाने की घोषणा की गई है। उल्लेखनीय है कि भारत सरकार द्वारा प्रतिवर्ष वीरता का उत्कृष्ठ प्रदर्शन करने वाले इन पुरूस्कारों की घोषणा स्वतंत्रता दिवस व गणतंत्र दिवस के अवसर पर की जाती है। महेन्द्र को वीरता मैडल आगामी 9 अप्रैल शौर्य दिवस के अवसर पर राष्ट्रपति भवन में आयोजित कार्यक्रम में देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा प्रदान किया जायेगा। महेन्द्र की उपलब्धि से क्षेत्र में खुशी की लहर है। उन्हें निरन्तर बधाईयों का दौर जारी है।
कोबरा बटालियन में कार्यरत रहते हुए अद्म्य साहस व वीरता का दिया परिचय :- महेन्द्र को यह पुरूस्कार कोबरा बटालियन में कार्यरत रहते हुए उनके अद्म्य साहस व वीरता के लिए प्रदान किया जा रहा है। सीआरपीएफ की कोबरा कमान्डो युनिट में कार्यरत रहते हुए महेन्द्र ने अपने कार्यकाल में नक्सल प्रभावित छत्तीसगढ़ राज्य के जंगलों में कई महत्वपूर्ण ऑपरेशन को सफलतापूर्वक अन्जाम देते हुए बड़ी संख्या में नक्सलियों को ढ़ेर किया है। वर्ष 2001 में महेन्द्र सर्वप्रथम सीआरपीएफ में बतौर कांस्टेबल भर्ती हुए थे। जिसके बाद सीधी भर्ती में वर्ष 2006 में एसआई बने, वहीं वर्ष 2013 में युपीएससी द्वारा आयोजित परीक्षा में चयनित होकर सहायक कमान्डेंट का पद प्राप्त किया। एक वर्ष के बुनियादी प्रशिक्षण के बाद ही उन्हें नक्सल प्रभावित ईलाके में तैनात कोबरा कमान्डो युनिट में नियुक्ति मिली।
जहाँ निरन्तर 5 वर्ष तक कार्य करते हुए 200 से अधिक ऑपरेशन को सफलतापूर्वक अन्जाम देते हुए नामी नक्सलियों को ठीकाने लगाया। वे अभी तक छत्तीसगढ़ सहित झारखण्ड, उड़ीसा, महाराष्ट्र, जम्मु-कश्मीर, आसाम, त्रिपुरा, मेघालय, नागालैंड व मिजोरम आदि राज्यों में कई अभियानों में शामिल हो चुके है। इसी दौरान महेन्द्र कुमार को छत्तीसगढ़ के ही अति नक्सली प्रभावित जिले बस्तर के संवेदनशील ईलाके में नक्सलियों को मार गिराकर अवैध हथियार व भारी मात्रा में गोला बारूद जप्त करते हुए श्रृंखलाबद्ध बम को डिफ्यूज करने के महत्वपूर्ण ऑपरेशन को सफलतापूर्वक अन्जाम देने पर इस पुरूस्कार से नवाजा जा रहा है।
पूर्व में भी मिले है कई वीरता पुरूस्कार :- सहायक कमान्डेंट महेन्द्र को उनकी कुशल युद्ध रणनीति, अद्म्य साहस, वीरता, शौर्य व अतुलनीय नेतृत्व के लिए सीआरपीएफ महानिदेशक द्वारा पूर्व में भी कई बार महानिदेशक डिस्क व प्रशस्ती पत्र से सम्मानित किया जा चुका है। माओवादियों व नक्सलियों का गढ़ माने जाने वाले अति संवेदनशील बस्तर जिला जो लाल आतंक के लिए प्रसिद्ध है उक्त ईलाके में महेन्द्र ने कई बार नक्सलियों को खदेड़ दिया। जिसके चलते उन्हें नक्सलियों का काल भी कहा जाने लगा है। उल्लेखनीय है कि बस्तर में ही आईईडी ब्लॉस्ट व घात लगाकर हमला करना आम बाते है। इसी वर्ष के शुरूआत में पुलिस के 22 जवानों ने भी अपना सर्वोत्तम बलिदान आईईडी ब्लॉस्ट में ही दिया था। जहाँ महेन्द्र ने कई बार नक्सलियों को अपनी चुनौती देते हुए सफलता हांसिल की है। प्रैस से बातचीत में महेन्द्र के पिता ने बताया कि बेटे की उपलब्धि उनके व परिवार के लिए बेहद गर्व का विषय है। महेन्द्र ने यह साबित कर दिया कि राजस्थान रण बांकुरों की भूमि है।
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